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नचिकेता नहीं कोई

सन् 1994 में प्रकाशित 'नचिकेता नहीं कोई' कवि-प्रवर अनन्त की शताधिक हिन्दी-गजलों का संकलन है। संग्रह की अधिकांश भाषा परिनिष्ठित हिन्दी है जिसमें आश्रमों में उच्चरित होते आर्षमन्त्रों की ध्वनियां, वर्तमान परिवेश में सर्वग्रासी राजनीति का मलिन चरित्र, दिनों दिन टूटती हुई मान्यताएं और विघटित होते मानव मूल्य और सामाजिक, राजनीतिक विसंगतियों का चित्रण है।

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