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पण्डितराज जगन्नाथ कृत गंगा-लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद
    

संस्कृत के काव्यशास्त्रीय आलोचकों की परम्परा के अन्तिम शिखरपुरूष पण्डित-राज जगन्नाथ साहित्यशास्त्र के अगड़धत्त काव्यरसिक विद्वानों में धुरिकीर्तनीय थे। 'गंगालहरी' के हिन्दी-पद्यानुवाद की परम्परा में काव्य-जगत के सुप्रतिष्ठ हस्ताक्षर प्रो• डॉ• अनन्तराम मिश्र 'अनन्त' द्वारा सवैया-छन्द के विविध रूपों में किये गये पद्यानुवाद का अपना विशिष्ट व्यक्तित्व है। यह अुनवाद सरस-प्रांजल एवं सहज सुबोध्य है।
    अनन्त जी का यह अनुवाद, अनुवाद न होकर हिन्दी में गंगा लहरी का अभिनव काव्यावतार है।

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