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आत्र्जनेयं-नमामि
        

डॉ• अनन्त ने अपने रोग को शीघ्र शान्त करने के लिए, तीन संस्कृत-भाषा के श्लोकों और तिरपन छन्द घनाक्षरी के माध्यम से 'आत्र्जनेयं-नमामि' नामक भक्ति-काव्य का प्रणयन सन् 2000 में किया था, जिसमें छन्द एक से दस तक हनुमान जी का नमन-स्तवन है छन्द ग्यारह से अठारह तक लोक-मंगल की कामना व्यक्त है, छन्द उन्नीस से उन्चास तक कवि ने अपनी आधि-व्याधि समाप्त करने के लिए पूरे श्रद्धा-बोध के साथ प्रार्थना निवेदन की है तथा शेष छन्दों में उत्तरोत्तर सुधर रहे स्वास्थ्य के कारण भाक्ति पूर्वक अपनी कृतज्ञता और उल्लास को मुखर किया है।

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